Mdh masala owner biography in hindi
5वीं फेल शख्स ने बनाया अरबों का कारोबार, खुद बन गए ब्रांड, हर महीने सैलरी से 94 लाख करते थे दान
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Dharampal Gulati Success Maverick : 5वीं तक पढ़े धर्मपाल गुलाटी ने अपनी मेहनत और जज्बे से 5 हजार करोड़ की मसाला कंपनी खड़ी कर दी. भारत में शायद ही कोई ऐसा शख्स हो, जिसने उनके मसालों का स्वाद न चखा हो. वे 2017 में भारत में...और पढ़ें
दिवंगत धर्मपाल गुलाटी 2017 में भारत में सबसे अधिक वेतन पाने वाले एफएमसीजी कंपनी के सीईओ बने.
Dharamapal Gulati Story : देश में कहीं भी, किसी भी रिश्तेदार के घर चले जाइए और जाकर उनकी रसोई देखिए. जहां मसाले रखे होंगे, वहां MDH के डिब्बे जरूर देखने को मिलेंगे. कार्यक्रमों में हलवाई भी एमडीएच के मसालों को ही तवज्जो देते हैं. देशभर में MDH मसालों की यदि इतनी डिमांड है तो इसके पीछे मुख्य वजह है क्वालिटी और टेस्ट. इन दो चीजों के बिना कोई भी मसाला बनाने वाली कंपनी बाजार में टिक नहीं पाएगी. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में मसालों के कई ब्रांड उभरे हैं और उन्होंने मार्केट में अपनी जगह बनाई है. पर MDH आज भी लीडर की तरह तनकर खड़ा है. इस कंपनी की सफलता के झंडे बुलंद हैं और इन झंडों को बुलंद करने वाले शख्स को कैसे भुलाया जा सकता है. उस शख्स का नाम है धर्मपाल गुलाटी (Dharampal Gulati). धर्मपाल गुलाटी देश के मसाला किंग के नाम से प्रसिद्ध हुए. जब तक वे जीवित थे, तब तक अपनी एमडीएच के विज्ञापनों में खुद नजर आते रहे. वे आखिरी सांस तक कंपनी के पद पर रहे. 2017 में वे सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाली सीईओ की लिस्ट में शामिल रहे. उदारता इतनी थी कि सैलरी का 90 फीसदी हिस्सा दान कर दिया करते थे. चलिए जानते हैं एक साधारण-सी दुकान से मसाले बेचने की शुरुआत करके अरबों रुपये तक की कंपनी बनाने का सफर.
भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान लाखों शरणार्थियों की तरह धर्मपाल गुलाटी अपने परिवार के साथ पाकिस्तान से हिंदुस्तान पहुंचे. 1947 से उनका संघर्ष शुरू हो गया. 5वीं तक पढ़े तांगेवाले धर्मपाल गुलाटी ने अपनी मेहनत और जज्बे से करोड़ों रुपये की मसाला कंपनी खड़ी कर दी. आइये जानते हैं आखिर कैसे तमाम संघर्षों का सामना करते हुए धर्मपाल गुलाटी ने देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाई.
पाकिस्तान जन्मभूमि, भारत बनी कर्मभूमि
धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को सियालकोट के पाकिस्तान में हुआ. पढ़ाई में रूचि नहीं होने की वजह से वे कक्षा 5वीं तक ही पढ़े और महज 14 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता के साथ कारोबार करना शुरू कर दिया. साबुन, कपड़ा और चावल का कारोबार करते-करते उनके पिता चुन्नी लाल गुलाटी ने ‘महाशयां दी हट्ट’ (MDH) की स्थापना की. उस वक्त उन्हें देगी मिर्च वाले के नाम से जाना जाता था.
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तांगा चलाकर पाला परिवार का पेट
1947 में लाखों लोगों की तरह उन्हें भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद दिल्ली आना पड़ा. बताया जाता है कि जब वे पाकिस्तान से भारत आए तो उनके पास सिर्फ 1500 रुपये थे लेकिन दिल में कुछ बड़ा करने का जज्बा था. दिल्ली से ही धर्मपाल गुलाटी के संघर्ष और सफलता का सफर शुरू हुआ. हालांकि, मसाले का बिजनेस करने से पहले उन्होंने तांगा चलाकर परिवार का पालन-पोषण किया. इसके बाद कुछ पैसे कमाकर दिल्ली के करोलबाग में मसाले की छोटी-सी दुकान खोली और कारोबारी के तौर पर अपनी पहचान बनाना शुरू कर दी.
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देखते ही देखते महज कुछ वर्षों में धर्मपाल गुलाटी देश में मसाला किंग के नाम से मशहूर हो गए. उनके मसाले के व्यापार को इतनी सफलता मिली कि आज देशभर में उनकी कई मसाला फैक्ट्रियां हैं. एमडीएच मसाला भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी निर्यात होता है.
94 साल की उम्र में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले CEO
धर्मपाल गुलाटी 2017 में भारत में सबसे अधिक वेतन पाने वाले एफएमसीजी कंपनी के सीईओ बने. बताया जाता था कि गुलाटी अपनी सैलरी का करीब 90 फीसद हिस्सा दान कर देते थे. एमडीएच को ब्रांड बनाते-बनाते वे खुद ही एक ब्रांड बन गए. उनकी कंपनी की नेटवर्थ करीब 5 हजार करोड़ बताई जाती है.
धर्मपाल गुलाटी अपने मसाला प्रोडक्ट्स का प्रचार खुद ही करते थे. अक्सर आपने उन्हें टीवी पर एमडीएच समालों के एड में देखा होगा. उन्हें दुनिया का सबसे उम्रदराज एड स्टार माना जाता था और देशभर में उनकी पहचान ‘एमडीएच अंकल’ के नाम तौर पर हो गई.
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